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लक्षद्वीप 1947 के बाद कैसे बना भारत का हिस्सा |

lakshadweep

लक्षद्वीप की बात करे तो वो भारत के केरल और तमिलनाडु से सबसे कम दुरी पर है |यहाँ का साक्षरता दर 91.82% जो किसी भी बारे शहर की साक्षरता दर से बहुत आधिक है | यह भारत का छोटा सा केंद्र शाशित प्रदेश है जो लगभग 36 छोटे छोटे आईलैंड (द्वीप) से बना है | यहाँ की जनसंख्या भारत के छोटे पंचायत जितना है यहाँ का कुल आबादी 70 हजार के करीब है|

लक्षद्वीप : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में लक्षद्वीप के दौरे पर गये हुए थे और उन्हौने 1156 cr के प्रोजेक्ट का शिलान्याश किया साथ ही उन्हौने आपने twitter पर फोटो को साझा करते हुए देश की जनता को lakshadweep घुमने आने की बात की जैसे ही ये खबर सोशल मीडिया में आई तो सोशल में lakshadeep टॉप ट्रेंड में चलने लगा और लोगों ने जम कम शेयर भी किया और तारीफ किया और लोगों को मोदी जी के द्वारा साझा किया गया फोटो बहुत पसंद भी आया |

लक्षद्वीप कैसे बना भारत का हिस्सा ?

भारत के विभाजन के उपरांत 1947 में भारत और पाकिस्तान आपने आपने रियासतों को एक करने में लगे हुए थे जिसके कारण भारत और पाकिस्तान के किसी भी नेताओ को ध्यान लक्षद्वीप पर नहीं गया गृहमंत्री और उप प्रधानमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल ने 500 से भी ज्यादा रियासत को मिलाने में सफल रहे लेकिन किसी ने लक्षद्वीप का दावा दोनों देश में से किसी ने नहीं किया | लक्ष्यद्वीप मुस्लिम बहुल प्रदेश है तो लियाकत अली खान ने सोचा की lakshadweep को अपने अधिकार में ले लें |

भारत के गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल ने उसी वक्त लक्षद्वीप के बारे में सोच रहे थे | तभी खबर आई की पाकिस्तान lakshadeep पर सेना भेज रही तभी सरदार पटेल ने आरकोट आर मुदलिया और आरकोट अल मुदलिया को lakshadeep तुरंत जाने कहा गया और भारतीय सेना ने lakshadeep के लिए निकल गये |

भारत और पाकिस्तान इस पर कब्ज़ा कने तो चले गये लेकिन भारत से lakshadeep की दुरी कम होने की बजह से भारत ने अपना कब्ज़ा कर अपना राष्ट्रियध्वज लहरा दिया गया | पाकिस्तान की सेना अपनी युद्धपोत लेकर पहुँच गये लेकिन जैसे ही भारत का तिरंगा झंडा को देखा तो पाकिस्तानी सेना को लौटना पर गया |

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